रानी सिर्फ नाम की रानी
रानी ने तब भी हिम्मत नही हारी ओर जंगल से पत्ते लाकर उज़के पत्तल बनाती ओर दूसरे दिन 6 किलोमीटर दूर सड़क पर बेच कर अपना ओर पति का पेट भरने लगी,लेकिन भाग्य को यह भी मंजूर नही था,घने जंगल मे रानी का घर अकेला होने की वजह से हमेशा जंगली जानवरों का खतरा बना रहता ,जैसे तेंदुए भालू आदि,रानी का घर भी पूरी तरह क्षतिग्रत हो गया था ,दरवाजे को अगर थोड़ा जोर से धकेलो तो बो खुल जाता ,ऐसे में अपने लाचार पति को अकेला छोड़ कर बो पत्तल बेचने भी नही जा पा रही थी , अब अगर पत्तल नही विकते तो घर पर खाना कंहा से बनता ,ओर आज रानी और उसके पति को भूखे मरने की नोबत आ गयी है , रानी पंचयात में कई बार अपना दुखड़ा सुना आयी लेकिन कोई रानी का दुख समझता ही नही,दोस्तो रानी की इस पूरी व्यथा में मेरे लिए उस समय बड़ी अजीब जैसी स्थिति हो गयी जब उसने मुझे अपने सामने देखा और आकर मुझसे लिपट गयी और जोर जोर से रोते होए बोली संजय भाई में पिछले 2 सालों से आपको ढूंढ रही थी ,
ओर आप आज आये हो , मुझे समझ नही आया कि उसको क्या बताऊँ ओर क्या नही,? दोस्तो मुझे समझ नही आ रहा था कि में क्या करूँ रोऊँ ,या फिर? रानी बहन ने तब तक मेरे कंधे से सर नही हटाया जब तक उसके आंसू सूखे नही , दूसरी तरफ रानी बहन के पति की आंखों से छलकता खामोश सैलाब रानी और अपनी बेबसी को बखूबी बयां कर रहा था दोस्तो ,रानी का पति आज नूरपुर हस्पताल में उपचाराधीन है ,पर रानी बहन को अभी हम सब की मदद की जरूरत है ,बाकी आप सभी जो उचित समझे,,
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